Friday, September 17, 2021

करम परब स्पेशल

 #करम मात्र एक परब ही नहीं है जहांँ आखअड़ा में करम गसाञ का सेंवरन ही नहीं करते हैं बल्कि कुड़मि पुरखों ने उस तंत्र की स्थापना की जिसमें कुमारी कन्याओं के आगामी जीवन को सहजता से निभाने का प्रशिक्षण स्वाभाविक रूप से होता है!जैसे-:

1) पुरखों के प्रमुख करम #चास हेतू बीजों को पहचानना व अंकुरन की प्रक्रिया को learning by doing से जानना, देखना,सीखना,समझना व पहचानना !


2) भविष्य में अपनी मातृत्व संबंधी - शक्ति,-समझ,-बारन को समझना ,अनुभव करना जिससे वह सहजता से बच्चों को जनम दे सके,पालन पोषण कर सके ! इसके लिए प्रत्येक #करमइति जिसे #जाउआ #माञ भी कहा जाता है जिसे निम्न पालन करने होते हैं,जैसे-:

((क))#हाबु नहीं नहाना अर्थात् नदी या तालाब में नहाते समय पीठ की ओर मुड़ना नहीं चाहिए यदि वह ऐसा करती है तो उसका जाउआ भी पीछे की ओर झूक जाता है!

((ख))करवट नहीं सोना चाहिए वरना जाउआ भी करवट ले लेगा।

((ग)) साग नहीं खाना वरना जाउआ हरा हो जाएगा!

((घ))दही ,खट्टा नहीं खाना वरना जाउआ में फफूंद लग जाएगा!

((ॾ))हाथ से नमक नहीं छूना वरना जाउआ गल जाएगा !

((च))हाथ से खरिका,दतुअन नहीं तोड़ना वरना जाउआ टूट कर गिर जाएगा!

(छ))बाल नहीं गुँथना वरना जाउआ गुँथ जाएँगे!

((ज)) अवांछित स्थान पर शौच नहीं जाना वरना जाउआ में भूरका उठ जाएगा!

((झ))आग में जलाई चीजें नहीं खाना वरना जाउआ जल जाएगा !

((ञ))हल्दी नहीं खाना वरना जाउआ पीला हो जाएगा!

((ट))मीठा नहीं खाना वरना जाउआ में चिंटी लग जाएंगी!

#नोट-:आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उपरोक्त बारनों का उल्लंघन करने से जाउआ में प्रत्यक्षत: उपरोक्त घटनाएँ आज भी स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।इतना तंत्र सिद्ध व जीवंत है करम परब!


3)जो कुमारी निष्ठा से अपने छ: वर्ष के उम्र से विवाह उम्र तक पूरे विधान से नियमों का पालन करते हुए पांँता नाच नाचती हैं सहजता से गर्भधारण कर बच्चे को बिना सीजेरियन के जनम लेती है।


4)इस परब में अभी तक 52 पारंपरिक गीत ही पाए जाते हैं और इसमें नौ ताल व नौ सुर में नौ तरह के नाच गीत होते हैं जो उपरोक्त्त प्रभाव उत्पन्न करते हैं!


5)इस परब को केवल भाई बहन का परब कहना इसकी व्यापकता को कम करता है कयोंकि यह कुमारियों का संपूर्ण रूप से सामाजिकरण करने का संस्थागत तंत्र है जहाँ,अपने नैहर, ससुराल के भौगोलिक स्थिति का वर्णन,भाई-बहन, सास-ससुर,ननँद-भौजाई,देवर-सइआँ,भेंसुर ,आदि के साथ कैसा व्यवहार होता है,कैसी भावना जुड़ी रहती है से संबंधित गीत पाए जाते हैं !


6) कुमारियों का शारीरिक, मानसिक,व भावनात्मक विकास होता है।


7)साँचि जाउआ में आठ भाग होते हैं और बीच में एक भाग याने कुल नौ हिस्से होते हैं जिसे नौ अनुभवी कुमारियाँ थापती हैं।प्रत्येक कुमारी अपने अपने हिस्से में अलग-अलग प्रकार की बीज बोती है और अपने अपने हिस्से की देखभाल करती है !


8)संजत से पारना तक तीन दिन तालाब या नदी में स्नान करने से पहले पुरखे याने #चालह -#सिनिआइड़ि को दतुन पानी देती है और उपास रात में बनी आठ तरह की तरकारी व बात का भोग लगा पुरखों के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझती है! 


9)संजत के दिन आठ कलइआ याने आठ तरह के दलहनों का आँकुर थाप प्रकृति की सृजन शक्ति का आकलन भी करती है।


10)यह विश्व की सबसे पुरानी उत्सव है।


11)बहिन वचन देती हैं #कुड़मालि में #मञ #करअम #जखन #ससुर  #घार #जाम(sister vows I will observe when I will be in my husband's home!) भाई वचन देता है रात में करअम जगाते रखवाली करते #मञ #धरअम (I will conserve this for my  daughter)!

जोहार!


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